कामयाबी के शिखर पर पहुँचने के लिए 6th सेन्स की ताकत का इस्तेमाल करें

सिक्स्थ सेंस मानव शरीर में सबसे शक्तिशाली सेंस है

human brain power
इंसान के छोटे से दिमाग मे बड़े बड़े रहस्य छिपे हुए हैं जिनके बारे में विज्ञान जितना जानने की कोशिश करता है दिमाग के उतने ही रहस्य और विज्ञान के सामने खड़े हो जाते हैं। आज हम बात करेंगे दिमाग के सेंस सिस्टम के एक ऐसे रहस्य की जिसके बारे में जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे। दोस्तों हम में से ज्यादातर लोग यही जानते हैं कि इंसान के पास पांच सेंस होते हैं सेंस सिस्टम आसपास की चीजों को समझने में दिमाग की मदद करता है, नीचे दिए गए चित्र में आप सेन्स का मतलब आसानी से समझ पाएंगे।

  • मानव शरीर में पाँच इंद्रियाँ


  1. हमारी आंखे जिससे हम दुनिया को देखते है।
  2. हमारे कान जिनसे हम भाषा और संवाद सीखते हैं और दुनिया से कम्यूनिकेट करते हैं।
  3. नाक जिससे हम सूंघते है।
  4. जीभ जिससे हम खाने वाली किसी चीज के सही या गलत होने का पता चलता है।
  5. स्पर्श जिससे हम किसी चीज को टच कर उसके बारे में अंदाजा लगा सकते हैं।


ये पांचों सेंस मिलकर हमें एक पूर्ण जीव बनाते हैं और जीवन के सर्वाइव में हमारी मदद करते हैं।
  1. रेप्टाइल में 4 सेंस होते हैं
  2. पक्षियों में 3 सेंस होते हैं
  3. कीड़ों में दो सेंस होते हैं
  4. और बेक्टिरिया में एक सेंस होता है।

लेकिन ये पांच सेंस तो लगभग सभी स्तनपाई जीव में होता है तो इंसान उनसे अलग कैसे ? असल मे इंसान के पास जो पांच मुख्य इन्द्रिय होती हैं उनके पीछे नर्व्स सिस्टम का पूरा जाल बुना होता है जो करीब 38 हजार इंद्रियों का समूह होता है पांच सेंसेस के सभी कार्यों या संकेतों को दिमाग इन्हीं नर्व सिस्टम के द्वारा ही समझता है। लेकिन इन सबसे अलग इंसानी दिमाग मे एक और सेंस होता है जिसे सिक्स्थ सेंस कहते हैं।



हालांकि इस छठी इंद्री के बारे में विज्ञान अभी ज्यादा नही जानता फिर भी दिमाग के बारे में लगातार हो रहे शोध सिक्स्थ सेंस के वजूद में होने का साइंटिफिक इंडिकेशन्स तो देने ही लगे हैं। हम अभी हाल ही में हुए एक एक्सपेरिमेंट की बात करेंगे उससे पहले सिक्स्थ सेंस क्या है उसे एक उदाहरण से समझिए।

sixth sense power
sixth sense power

उदाहरण:- आप कही जा रहे है और रास्ता भटक जाते है आगे चलकर आपके सामने दो रास्ते दिखाई देते है एक बहुत सुंदर है और दूसरा रास्ता थोड़ा उबड़ खाबड़ है आप थोड़ी देर सोचते हैं और आपको दूसरा रास्ता जो खराब है सही लगता है ये फैसला ही सिक्स्थ सेंस कहलाता है।

आप कहेंगे ये संयोग भी हो सकता है बिल्कुल सही बात है लेकिन आपने देखा होगा कि दुर्घटना से पहले या किसी भी अनहोनी घटना से पहले कुछ लोगों को उसका आभास होने लगता है ये अलग बात है कि वे अपने साथ होने वाली उस घटना को समझ नही पाते। यही सिक्स्थ सेंस कहलाता है जो प्रत्येक इंसान के अंदर मौजूद होता है। अब बात करते हैं उस एक्सपेरिमेंट की जो 2011 में जर्मनी के एक न्यूरोसाइंटिस्ट जेन मिक्सेल पाउलो ने की। उन्होंने ये प्रयोग एक आदमी पर किया जो अपनी मर्जी से इस एक्सपेरिमेंट का हिस्सा बना था पाउलो ने उस आदमी को पूरी तरह बेहोश कर दिया और उसे एक कमरे में लिटा दिया



कमरे में उस आदमी के सिर की तरफ एक पेंटिंग टांग दी गई उस पेंटिंग से अलग एक दूसरी पेंटिंग उस आदमी के दाएं और एक तीसरी पेंटिंग उस आदमी के बाई ओर लगा दी गई। दो घंटे के बाद उस बेहोश आदमी को उस कमरे से दूसरे कमरे में शिफ्ट कर उसे होश में लाया गया होश में आने के दो घंटे के बाद उस आदमी को दो पेंटिंग्स दिखाई गई इन दोनों पेंटिंग्स में से एक बेहोशी के दौरान उसके सिर की ओर लगी थी और दूसरी पेंटिंग उससे मिलती जुलती थी लेकिन वो उसके बेहोशी के दौरान कमरे में कही नही लगी थी।


sixth sense power
sixth sense power
अब आदमी से कहा गया कि दोनों पेंटिंग्स में उस पेंटिंग को चुनो जिसे आपने इससे पहले कही भी देखा हो आदमी ने उसी पेंटिंग को चुना जो बेहोशी के दौरान उसके सिर की ओर लगी थी। ऐसे ही उसे तीन बार वैसे ही दो दो पेंटिग्स दिखाई गई जो उसके दाये और बाएं ओर लगी थी और हर बार उसने उन्ही पेंटिंग्स को चुना जो बेहोशी के दौरान उसके कमरे में लगाई गई थी।

ऐसा ही एक दूसरा प्रयोग अमेरिका में 2009 में हुआ था इस एक्सपेरिमेंट में शामिल एक आदमी को एक लिफाफा देकर एक ऐसे कमरे में बंद कर दिया जहां दीवार पर लगी एक घड़ी के सिवा कुछ भी नही था उसका टास्क था कि उसे कमरे में ज्यादा से ज्यादा देर तक रहना है और जब भी उसे लगे कि अब वह और देर नही रुक पायेगा वो घड़ी के नीचे लगे बटन को दबा कर दरवाजा खटखटा देगा तो उसका टास्क खत्म हो जायेगा और वह कमरे से आज़ाद हो जाएगा।
लड़के ने ठीक वैसे ही किया उसने घड़ी को बंद किया तब 3 बजकर 58 मिनट हुए थे इसके बाद उसे हाथ मे रखे लिफाफे को खोलने को कहा गया तो उस लिफाफे में 3:58 ही लिखा हुआ था। है न कितनी हैरानी की बात


human body facts
human body facts



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ये दोनों एक्सपेरिमेंट ये साबित करने के लिए काफी हैं कि इंसान के पास एक एक्स्ट्रा और पावरफुल सेंस भी है जिसे ज्यादातर लोग नही जानते लेकिन कुछ लोग किसी मुसीबत के समय उस इंद्री को महसूस जरूर करते हैं। अगर आपको भी ऐसा कोई अनुभव हुआ है तो हमसे कमेंट बॉक्स में शेयर जरूर करें।

विज्ञान का क्षेत्र बहुत बड़ा है आज विज्ञान ने इंसान को उस मकाम तक पहुंचा दिया है जहां से वह यूनिवर्स के रहस्यों को उजागर करने में लगा है ग्रहों नक्षत्रों की दुनिया से आगे की छुपी और रहस्मय दुनिया भी इंसानी दिमाग से अछूता नही रह गया है फिर भी इंसान और उसका विज्ञान उसी मामूली दिमाग की अनोखी पहेलियों को सुलझा नही पा रहा जिस दिमाग से वह यूनिवर्स को जीतने की चाह में लगा हुआ है।
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यही तो विज्ञान है जिसने हमे अपने दिमाग की पावर से परिचित करवाया है और ये भी सत्य है कि निरंतर खोज और उत्थान में लगे रहना ही विज्ञान का काम है दिमाग और यूनिवर्स के रहस्य कभी खत्म होने वाले नही ऐसा कभी नही होगा जब विज्ञान के सामने कोई रहस्य ही बाकी न रहे

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