duniya ki sabse badi machine |
आज का युग पूरी तरह विज्ञान और टेक्नोलोजी का युग है विज्ञान और टेक्नोलोजी ने मिलकर दुनिया की तस्वीर बदल कर रख दी है जैसे जैसे दुनिया की आबादी बढ़ रही है वैसे वैसे तकनीक का दायरा भी बढ़ता जा रहा है।
दुनिया की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए आज के जमाने मे ऐसी ऐसी गजब मशीनें तैयार की गई हैं जिन्हें देखकर आश्चर्य होता है। आज हम आपको ऐसी 10 दुनिया किस सबसे बड़ी और हैरतअंगेज़ मशीन 'duniya ki sabse badi machine' के बारे में बताने जा रहे हैं जो दुनिया की सबसे बड़ी और हैरान कर देने वाली मशीनें हैं।
दुनिया की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए आज के जमाने मे ऐसी ऐसी गजब मशीनें तैयार की गई हैं जिन्हें देखकर आश्चर्य होता है। आज हम आपको ऐसी 10 दुनिया किस सबसे बड़ी और हैरतअंगेज़ मशीन 'duniya ki sabse badi machine' के बारे में बताने जा रहे हैं जो दुनिया की सबसे बड़ी और हैरान कर देने वाली मशीनें हैं।
1. बर्था (सुरंग बोरिंग मशीन)
Bertha - Largest tunnel boring machine
bertha- tunnel boring machine |
चलिए अब बात करते हैं सुरंग खोदने वाली दुनिया की सबसे बड़ी मशीन की जिसका नाम है बर्था। यह विशाल मशीन 'duniya ki sabse badi machine' मुख्य रूप से अलास्का वेली को सीएटल से जोड़ने वाले एक बड़े प्रोजेक्ट के लिए तैयार की गई थी आज इसका उपयोग पूरी दुनिया मे किया जाता है
भारत के मेट्रो निर्माण में भी इसी मशीन का उपयोग हो रहा है इसका नाम सीएटल की पहली महिला मेयर के नाम पर रखा गया है उनका नाम था बेर्था नाइट लैंड्स। इस मशीन की कुल लंबाई 300 feet है, चौड़ाई 57 फ़ीट और इसका वजन है 7000 टन है।
यह जापान के ओसाका
में हिताची ज़ोकेन सकाई वर्क्स द्वारा बनाया गया था, और मशीन की असेंबली को सिएटल में जून 2013 में पूरा किया गया था। टनल बोरिंग 30 जुलाई 2013 को शुरू हुई, मूल रूप से दिसंबर 2015 में टनल का पूरा करने की योजना थी लेकिन काम शुरू होने के
बाद ३ बार कार्य को बीच में ही रोकना पड़ा।
6 दिसंबर 2013 को खुदाई के दौरान बू जल
मांपने वाली स्टील पाइप से टकराव के बाद मशीन के कई कटिंग ब्लेड क्षतिग्रस्त हो गए
थे लेकिन सब ठीक होने के बाद काम जल्द ही शुरू हो गया फिर 14 जनवरी 2016 को सिंकहोल की घटना के
कारण काम रोका गया।
कुछ समय बाद 23 फरवरी को संक्षिप्त रूप से खुदाई शुरू हुई लेकिन 29 अप्रैल को पूर्ण संचालन शुरू करने से पहले रखरखाव और निरीक्षण के लिए फिर से कार्य रोक दिया गया। आखिरकार टनल बोरिंग अपने निर्धारित समय से 16 महीनों कि देरी से 4 अप्रैल 2017 को पूरा हो गया।
कुछ समय बाद 23 फरवरी को संक्षिप्त रूप से खुदाई शुरू हुई लेकिन 29 अप्रैल को पूर्ण संचालन शुरू करने से पहले रखरखाव और निरीक्षण के लिए फिर से कार्य रोक दिया गया। आखिरकार टनल बोरिंग अपने निर्धारित समय से 16 महीनों कि देरी से 4 अप्रैल 2017 को पूरा हो गया।
2. वरबर्डन
कन्वेयर ब्रिज एफ 60
‘Overburden Conveyor Bridge F60’
Overburden Conveyor Bridge F60 |
चलिए अब बात करते हैं दुनिया की एक और सबसे बड़ी मशीन की जिसका नाम है वरबर्डन कन्वेयर ब्रिज एफ60 ‘Overburden Conveyor Bridge F60’ जर्मनी की ये मेगा मशीन इतनी विशाल है कि इस मशीन को ही मशीनों का शहर भी कहा जाता है।
पांच ओर फैली इसकी विशाल भुजाएं हर दिशा में काम कर सकती हैं।
मानव जाति के लिए बनाए गए भौतिक आयामों का सबसे बड़ा वाहन 'duniya ki sabse badi machine' F60 को ही माना जाता है ।
इस मशीन की कुल लंबाई
502 मीटर है जो कि अमेरिका की एम्पायर स्टेट बिल्डिंग से भी
ऊंची है, इस मशीन की ऊंचाई 80 मीटर और वजन की बात करें तो इसका कुल भार 103,600
टन है। ये 60 मीटर तक कि ऊंचाई तक नीचे से ऊपर वजन पहुंचा सकती है इसीलिए
इसका नाम F60 है।
इसका वजन 13,600 मीट्रिक
टन है जो F60 को
अब तक के सबसे भारी भूमि वाहनों में से एक बनाता है।
इस मशीन में कुल 760 पहियें हैं जो इसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में मदद करते हैं और अगर इस मशीन की लम्बाई हम ज़मीनी तौर पर करें तो ये 2 ट्रेन जितनी लम्बी होगी। दुनिया की सबसे बड़ी कन्वेयर मशीन के इंजन में 35000 हार्सपावर की ताकत है।
इस मशीन को देखने पर
तो लगता है कि ये एक साथ बनकर तैयार हुई होगी मगर इसका इतिहास कुछ और ही बांया
करता है। आइये जानते हैं इसकी पांच अलग अलग भुजाएं जैसी बनी।
- -पहला कन्वेयर ब्रिज 1969 से 1972 तक बनाया गया था।
- -दूसरा कन्वेयर ब्रिज 1972 से 1974 तक बनाया गया था।
- -तीसरा कन्वेयर ब्रिज 1976 से 1978 तक बनाया गया था।
- -चौथा कन्वेयर ब्रिज 1986 से 1988 तक बनाया गया था।
- -और पांचवा कन्वेयर ब्रिज 1988-1991 तक बनाया गया था।
शुरुआत में F60 का उपयोग जर्मनी में लुसाटियन कोयला क्षेत्रों में भूरे रंग के कोयला (लिग्नाइट) ओपेंकास्ट खनन में कोयला मांइनिंग में किया जाता था लेकिन अब यह बहुत से उपयोग में लाई जाती है। अपनी इन्ही खासियतों के कारण ये दुनिया की सबसे बड़ी कन्वेयर मशीन है।
3. बेजर 288
Bagger 288- Largest excavator
Bagger 288- Largest excavator |
बेजर 288 जर्मन कंपनी क्रुप द्वारा 1978 में एनर्जी एंड माइनिंग फर्म रैनब्रून के लिए कोयला माइनिंग के लिए बनाया गया है। इसके डिजाइन और निर्माण में पांच साल लगे और कुल लागत 100 मिलियन डॉलर। इसकी लंबाई 220 मीटर है ऊंचाई 96 मीटर और इसका वजन 13,500 टन है। 'duniya ki sabse badi machine' बेजर 288 को अपनी खुदाई के कार्य के लिए 16.56 मेगावाट बिजली की आवश्यकता होती है। इस मशीन की सबसे आश्चर्यजनक चीज़ है इसके खुदाई करने बाले ब्लेड जो कि 21.6 मीटर लम्बे हैं।
कोयला माइनिंग के लिए ये
दुनिया की सबसे बड़ी मशीन है जो एक दिन में 240,000 टन कोयला खोद कर निकाल देती है, इतने कोयले से आप 30 मीटर गहरे किसी फुटबॉल के
मैदान को भर सकते हैं ये विशाल मशीन 2 मीटर प्रति मिनट की रफ्तार से चलती है।
4. क्रॉलर- राकेट ट्रांसपोर्टर।
Crawler
-The Rocket Transporter
crawler-transporter |
चलिए अब बात करते हैं उस हैरतअंगेज मशीन की जो पूरी दुनिया मे केवल दो ही हैं इस मशीन 'duniya ki sabse badi machine' का नाम है।
क्रॉलर- राकेट ट्रांसपोर्टर
‘Crawler
– The Rocket Transporter’ जैसा
कि इसके नाम से ही पता चल जाता है कि ये मशीन अंतरिक्ष मे भेजे जाने वाले रॉकेट या
स्पेस शटल को लॉन्च वाली जगह पर ले जाने के लिए बनाया गया है इसका इस्तेमाल
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा करती है।
अपोलो, स्काईलैब और अपोलो-सोयुज जैसे महान अंतरिक्ष मिशन के लिए जिन रॉकेट्स को भेजा गया वो इसी रॉकेट ट्रांसपोर्टर पर फिट किये गए थे। इसकी लंबाई है: 40 मीटर, चौड़ाई: 35 मीटर, और ऊंचाई: 8 मीटर, और इस मशीन का वजन है 2721 टन है।
इस रॉकेट ट्रांसपोर्टर को
रॉकवेल इंटरनेशनल कंपनी ने नासा के लिए विशेष आर्डर पर बनाया है जिसे बनाने में 14 मिलियन अमेरिकी डॉलर की
लगत आई है।
रॉकेट ट्रांसपोर्टर मशीन जमीन पर चलने वाली दुनिया की सबसे बड़ी ऑटोमेटिक मशीन है।
रॉकेट ट्रांसपोर्टर मशीन जमीन पर चलने वाली दुनिया की सबसे बड़ी ऑटोमेटिक मशीन है।
5. एंटोनोव एन -225
मिरिया।
Antonov
An-225 Mriya
Antonov An-225 Mriya |
चलिए अब बात करते हैं एक और मेगा मशीन की duniya ki sabse badi machine' जो असल मे एक हवाईजहाज़ है जिसका नाम है एंटोनोव ए न-225 मरिया ‘Antonov An-225 Mriya’। रूसी भाषा मे मिरिया का मतलब होता है प्रेरणा। यह दुनिया का सबसे बड़ा कार्गो विमान 'biggest machines' है जिसका डिजाइन रूस ने 1980 में तैयार किया था और ये अब तक का सबसे भारी विमान है।
Antonov
An-225 Mriya में 6 टर्बो इंजन लगे हैं ये दुनिया का पहला ऐसा विमान है जो 640 टन वजन के साथ टेकऑफ कर सकता है।
विमान इस की लंबाई है 84 मीटर, एक विंग से दूसरे विंग की लंबाई 88 मीटर है और इसकी ऊंचाई है 18 मीटर। परिचालन सेवा में उड़ने वाले विनामों में किसी भी विमान से सबसे बड़ा विंगस्पैन भी Antonov An-225 Mriya का ही है।
इस जहाज़ को सोवियत यूनियन ने एंटोनोव ग्रुप से हेवीलोड माल धुलाई के लिए बनवाया था और इसे बनवाने का कार्य कुछ चरड़ों में पूरा हुआ। 21 दिसंबर 1988 में ए न-225 मिरिया ने पहली बार कीव, यूक्रेन में 74 मिनट की उड़ान भरी। 253,820 किलोग्राम का वजन लेकर उड़ने के लिए इस हैरतअंगेज विमान का नाम गिनिस बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है।
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6. ओ ओ
सी एल होन्ग कोंग।
OOCL Hong Kong
OOCL Hong Kong |
चलिए अब बात करते हैं दुनिया के सबसे बड़े शिप की 'duniya ki sabse badi machine' जिसका नाम है ओ ओ सी एल होन्ग कोंग। ‘OOCL Hong Kong’. इस जहाज़ का मालिकाना हक़ ओरिएंट ओवरसीज कंटेनर लाइन लिमिटेड ‘Orient Overseas Container Line Ltd.’ कंपनी के पास है और यही कंपनी अपने माल ढुलाई के लिए इस जहाज़ का इस्तेमाल करती है।
इसे सैमसंग हैवी
इंडस्ट्रीज ‘Samsung heavy
industries’ कंपनी ने बनाया है। ओ ओ सी एल होन्ग कोंग ‘OOCL Hong Kong’ नाम का
यह विशालकाय जहाज दुनिया में अब तक बना सबसे बड़ा समुद्री जहाज है ये कितना विशाल
और ताकतवर है
इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है कि इसे चलाने के लिए 80,000 KW बिजली की जरूरत पड़ती है
और यह करीब दो लाख टन का वजन लाद कर समुद्र में 40 किलोमीटर प्रति घण्टे की रफ्तार से चलती है इस जहाज
की लंबाई 400 मीटर है।
7. लार्ज
हैड्रन कोलाइडर।
The Large Hadron Collider
the large hadron collider |
फ्रांस और स्विट्ज़रलैंड की सीमा पर बनी है 27 किलोमीटर लंबी सुरंग, जिसके अंदर है दुनिया की सबसे विशाल मशीन जो असल मे विज्ञान का एक ड्रीम प्रोजेक्ट है।
इस विशाल मशीन को यूरोपियन आर्गेनाइजेशन फॉर नुक्लेअर रिसर्च ‘CERN’ ने 1998 से 2008 के बीच दुनिया भर के 10,000 साइंटिस्टों और इंजीनियरों ने मिलकर 'duniya ki sabse badi machine' तैयार किया है। जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड ‘Geneva, Switzerland’ में बनाई गई यह मशीन जमीन से 175 फुट नीचे बनाये गए 27 किलोमीटर गोल सुरंग में है।
हिग्स बोसोन ‘Higgs boson’ कैसे काम करता है ये जानने के लिए इस मशीन को तैयार किया गया है इस विशाल मशीन की बदौलत जल्द ही विज्ञान के कई रहस्यों पर से पर्दा उठ जाएगा।
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the world
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8. शेवरर गुस्ताव।
Schwerer
Gustav
Schwerer Gustav |
चलिए अब बात करते हैं उस मशीन की 'duniya ki sabse badi machine' जो एक जर्मन रेलवे गन थी और अभी तक कि सबसे बड़ी तोप मानी जाती है। रेल की तरह लोहे की पटरियों पर चलने वाली इस तोप को फ्रांस के मेगिनोट किले की 60 फुट ऊंची दीवारों को तोड़ने के लिए बनाया गया था ये एक दिन में किसी शहर को बर्बाद रखने की ताकत रखती है।
1930 में बनी मौत की इस मशीन का वजन 1,350 टन है ये सात टन भारी बारूद के गोले को 47 किलोमीटर दूर तक फैंक सकती है। हिटलर ने भी इस तोप का
इस्तेमाल किया था। इस तोप की लंबाई 47
मीटर, चौड़ाई 7 मीटर,
और ऊंचाई 11 मीटर है, केवल
इसके बैरल की लंबाई ही 32.5 मीटर है।
1934 में, जर्मन आर्मी हाई कमांड ‘German Army High Command’ ने फ्रांस के मैजिनॉट लाइन ‘Maginot Line’ के किलों को नष्ट करने के लिए एक बंदूक डिजाइन करने का कार्य चालू किया और ये कुछ ही सालों में ये बनकर तैयार हो गया।
ये तोप इतनी ताकतवर थी कि इसने जमीनी स्तर से लगभग 30 मीटर (98 फीट) नीचे स्थित एक
मुनियों के डिपो को नष्ट कर दिया और तब ये दुनिया किसी भी तोपों से कई गुना हो गई
थी।
इसकी कुछ कमियां थी जिसकी
वजह से इसका इस्तेमाल द्वितीय विश्व युद्ध मे ज्यादा नहीं हुआ क्योंकि ये लोहे की
पटरियों पर धीमी गति से चलती थी उन पटरियों को दुश्मन के इलाके में बिछाना मुश्किल
था और दुश्मन को पता लगते ही वे पटरियों को उड़ा देते थे और इसका इस्तेमाल दिन में
केवल 14 बार ही हो सकता था।
1945 में सोवियत रेड आर्मी द्वारा कब्जा से बचने के लिए युद्ध के अंत के पास जर्मन द्वारा गुस्ताव को नष्ट कर दिया गया था। शेवरर गुस्ताव कभी युद्ध में इस्तेमाल किया जाने वाला सबसे बड़ा कैलिबर राइफल था और समग्र वजन के लिहाज से अब तक का सबसे भारी रेल तोपखाना है।
1945 में सोवियत रेड आर्मी द्वारा कब्जा से बचने के लिए युद्ध के अंत के पास जर्मन द्वारा गुस्ताव को नष्ट कर दिया गया था। शेवरर गुस्ताव कभी युद्ध में इस्तेमाल किया जाने वाला सबसे बड़ा कैलिबर राइफल था और समग्र वजन के लिहाज से अब तक का सबसे भारी रेल तोपखाना है।
9. बेलाज
75710
BelAZ 75710
Belaz 75600 - biggest dump truck |
हमारी लिस्ट में दुसरे नंबर पे जो मशीन है वो एक विशाल ट्रक हैं जिसका नाम BelAZ75710 है। इस भारीभरकम और विशाल ट्रक को हॉल ट्रक भी कहा जाता है, और हॉल ट्रक की लिस्ट में ये ट्रक 'duniya ki sabse badi machine' पहले नंबर पर आता है। बेलारस अमेरिका में बनी इस मशीन की लंबाई 20.6 मीटर से ज्यादा है और चौड़ाई है लगभग 10 मीटर और इसकी ऊंचाई भी 8.26 मीटर से ज्यादा है। इस हैरतअंगेज ट्रक की कीमत $6 मिलियन डॉलर से ज्यादा है।
खाली ट्रक का वजन 360
टन है और ये ट्रक 450 टन से ज्यादा का भार ढो सकता है, अधिक जानकारी के लिए आपको बता दें कि 1
टन 1,000 किलोग्राम का होता है। इस ट्रक में 2
डीज़ल इंजन लगे हैं जो इसे 4600 हार्सपावर ‘Horsepower-Unit of power’ की
ताकत देते हैं।
इस ट्रक को बनाने वाली कंपनी का नाम बेलाज ‘BelAZ’ है जो एक रूसी कंपनी है। इस कंपनी कि शुरुआत 1948 में हुई थी और इस कंपनी का मुख्या कार्य इसी तरह के डंप ट्रक, हॉल ट्रक बनाना है।
इस ट्रक को बनाने वाली कंपनी का नाम बेलाज ‘BelAZ’ है जो एक रूसी कंपनी है। इस कंपनी कि शुरुआत 1948 में हुई थी और इस कंपनी का मुख्या कार्य इसी तरह के डंप ट्रक, हॉल ट्रक बनाना है।
ये हैं अल्ट्रा क्लास हॉल ट्रक्स के कुछ नमूने।
(Examples of ultra class haul trucks)
1) Belaz 75600 (first model in 2015)
2) Liebherr T 282B (first model in 2004)
3) Bucyrus MT6300AC (first model in 2008)
4) Komatsu 980E-4 (first model in 2016)
5) Caterpillar 797 (first model in 1997)
6) Komatsu 960E-1 (first model in 2008)
7) Belaz 75600 (first model in 2005)
8) Caterpillar 785 (first model in 1984)
9) Komatsu 930E (first model in 1995)
10) Terex 33-19 'Titan' (first model in 1973)
10. ला प्रिंसेसे।
La Princesse
La Princesse- The giant mechanical spider |
चलिए आखिर में बात करते है विशाल मकड़ी की तरह दिखाई देने वाली इस मशीन की जिसका नाम है ला प्रिंसेस। 15 मीटर की इस विशाल मशीन का वजन 37 टन है 'duniya ki sabse badi machine' इसे फ्रांस की ला मशीन ने तैयार किया है इसके सभी पैर अलग अलग दिशा में काम कर सकते हैं।
मकड़ी का निर्माण फ्रांस में नैनटेस में किया गया था जिसमें स्टील और
चिनार की लकड़ी का उपयोग किया गया था और इसके निर्माण में पूरा एक साल लगा था।
इस नायब मशीन को चलाने के
लिए- 16 क्रेन, छह फोर्कलिफ्ट ट्रक, आठ चेरी पिकर और 12 लोगों कि एक टीम कि
ज़रुरत होती है और तब यह 2 मील प्रति घंटे की गति से चलती है।
मकड़ी को लिवरपूल, इंग्लैंड में 2008 की यूरोपीय राजधानी संस्कृति समारोहों के हिस्से के रूप में 7 सितंबर को बीच शहर में घूमते हुए दिखाया गया था। हालांकि ये मशीन ज्यादा पॉपुलर नही हो पाई फिर भी इसे काफी लोगों ने पसंद किया।
मकड़ी को लिवरपूल, इंग्लैंड में 2008 की यूरोपीय राजधानी संस्कृति समारोहों के हिस्से के रूप में 7 सितंबर को बीच शहर में घूमते हुए दिखाया गया था। हालांकि ये मशीन ज्यादा पॉपुलर नही हो पाई फिर भी इसे काफी लोगों ने पसंद किया।
टेकनोलोजी आज पूरी
दुनिया की सबसे बड़ी जरूरत है जो देश अपनी इस जरूरत को ठीक से समझ गए वो विकसित हो
गए क्योंकि उन्होंने विज्ञान को अपनी सभ्यता का हिस्सा बना लिया लेकिन भारत जैसे
विकाशशील देशों ने इस ओर ध्यान नही दिया जिसका खामियाजा ये हुआ कि हम तकनीक में
आत्मनिर्भर नही हो पाए और पिछड़ते चले गए।
अभी भी वक्त है आने वाला वक्त पूरी तरह विज्ञान और तकनीक पर ही निर्भर होगा अगर हमे भी प्रगति करनी है तब हमें अपनी पूरी ताकत टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में लगानी होगी वर्ना दुनिया चाँद सितारों से आगे निकल जायेगी और हम अपने दकियानूसी विचारों का ढोल पीटते रह जाएंगे।
हमारी इस 'Duniya ki sabse badi machine' की सूची में हमने आपको उन्ही मशीनों के बारे में बताया है जो आज तब की सबसे बड़ी और अद्द्भुत मशीनों में से एक है जिसको हम इंसानों ने अपने काम को और भी आसान करने के लिए बनाया है। क्या आपको ये जानकारी पसंद आई? अगर हाँ तो आप से अपने दोस्तों के साथ शेयर ज़रूर करें, ऐसी हो जानकारियां हमेशा प्राप्त करने के लिए CLICK HERE!!! जुड़े रहें हमारे साथ, हमें फॉलो करें।
हमारी इस पोस्ट में हमने आपको Duniya Ki Sabse Badi Machine || दुनिया की सबसे बड़ी मशीन। के बारे में बताया है, जो आज दुनिया भर में चर्चित भी है। क्या आपको ये जानकारी पसंद आई? अगर हाँ तो आप से अपने दोस्तों के साथ शेयर ज़रूर करें, ऐसी ही जानकारियां हमेशा प्राप्त करने के लिए CLICK HERE!!! जुड़े रहें हमारे साथ, हमें फॉलो करें @instagram, @facebook, @twitter, @pinterest और अगर आप हमारी विडियो हिन्दी में देखना चाहते हैं तो ⤇ क्लिक करें⤆ और हमारे यूट्यूब चैनल 'Universal हिन्दी Facts' पर जाएँ।